राजस्थान में कृषि भूमि के फर्जीवाड़े पर रोक लगाने की तैयारी, सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला
सरकार का लक्ष्य है कि हर भूमि का असली मालिक आसानी से पहचाना जा सके। जमाबंदी को आधार से जोड़ने पर जमीन के स्थानांतरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा फर्जी बेचान और फर्जी नामांतरण पर भी रोक लग सकेगी।
स्वतंत्रता के बाद से कई सरकारें आईं और नई नीतियां बनीं लेकिन जमीन के नामांतरण और बंटवारे की कठिन प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस वजह से आज भी देश के हजारों गांवों में जमीनें दादा-परदादा के नाम पर दर्ज हैं। ऐसे में विवाद और गंभीर अपराधों की घटनाएं बढ़ रही हैं। इन समस्याओं को हल करने और फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए सरकार ने जमाबंदी को आधार से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
जमाबंदी को आधार से जोड़ने का उद्देश्य
सरकार का लक्ष्य है कि हर भूमि का असली मालिक आसानी से पहचाना जा सके। जमाबंदी को आधार से जोड़ने पर जमीन के स्थानांतरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा फर्जी बेचान और फर्जी नामांतरण पर भी रोक लग सकेगी।
कैसे होगा यह काम?
इस प्रक्रिया के तहत किसानों को अपने आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और जमाबंदी के दस्तावेज कैम्प में जमा करने होंगे। सरकार ने इस काम को पूरा करने के लिए पटवारियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम: पटवारियों को पहले विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे जमाबंदी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से समझ सकें।
- विशेष शिविर: अलग-अलग गांवों और शहरों में शिविर लगाए जाएंगे जहां किसान अपने दस्तावेज जमा कर सकेंगे।
- वैश्विक जमीन आईडी: आधार की तर्ज पर खेत की जमीन की एक यूनिक आईडी बनाई जाएगी जिसमें मालिक की अचल संपत्ति का पूरा रिकॉर्ड रहेगा।
इसका लाभ क्या होगा?
- फर्जीवाड़े पर रोक: जमाबंदी और आधार के लिंक होने से फर्जी बेचान पूरी तरह से रुक जाएगा।
- पारदर्शिता: जमीन का असली मालिक तुरंत पहचाना जा सकेगा।
- एसएमएस अलर्ट: मोबाइल नंबर से लिंक होने की वजह से जमीन में किसी भी बदलाव की सूचना सीधे मालिक के मोबाइल पर आएगी।
- मुआवजा सीधे खाते में: जमीन अधिग्रहण के समय मुआवजा सीधे असली मालिक के खाते में जाएगा।
सामने आने वाली चुनौतियां
- पुरानी जमीनें: हजारों गांवों में ऐसी जमीनें हैं जो अभी भी मृतक दादा-परदादा के नाम पर दर्ज हैं। इन जमीनों का आधार कार्ड या अन्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।
- डिजिटल रिकॉर्ड की कमी: कई जगहों पर अभी तक डिजिटल रिकॉर्ड तैयार नहीं हैं जिससे प्रक्रिया में देरी हो सकती है।
कृषि भूमि को सुरक्षित करने की योजना
सरकार अगले वर्ष से इस योजना को लागू करने जा रही है। इसके तहत खेती की जमीन को फर्जीवाड़े से बचाने के लिए व्यापक तैयारी की जा रही है। इसके अलावा कृषि भूमि के लिए एक डिजिटल डाटा तैयार किया जाएगा जिसमें हर व्यक्ति की संपत्ति का विवरण दर्ज होगा।
किसानों को क्या करना होगा?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को अपने आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और जमाबंदी की नकल के साथ विशेष शिविरों में जाना होगा। इसके बाद उनकी जमीन को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड में जोड़ दिया जाएगा।